खट्टा खाते ही क्यों बंद हो जाती हैं आंखें और सिकुड़ जाता है चेहरा, कभी सोचा है?/Have you ever wondered why the eyes close and the face shrinks after eating sour food?
आपने नींबू या फिर इमली जरूर खाई ही होगी, और यह भी देखा होगा कि इसे खाते ही लोगों के चेहरे पर एक खास रिएक्सशन आ जाता है। अक्सर खाने की जिन चीजों का स्वाद तेज होता है, उनके ज़बान पर लगते ही हम अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, मुंह सिकुड़ लेते हैं और होंठ दबा लेते हैं! लेकिन कभी आपने सोचा है कि ऐसा मीठा या तीखा खाने पर नहीं होता, सिर्फ खट्टा खाते (sour food) ही आखिर ऐसा क्यों होता है?
इसलिए बंद होती हैं आंखें
असल में खट्टे फूड्स में एसिड की मात्रा काफी होती है, जिसकी वजह से हम इस तरह रिएक्ट करते हैं। नींबू, विनेगर और कच्चे फल जैसे ही हमारी जीभ को छूते हैं, तो हमारे दिमाग तक एक सिग्नल जाता है, कि हमने कुछ खट्टा खा लिया है। इन सभी रिएक्शन के जरिए हमारा शरीर हमें एक तरह से चेतावनी देता है!
हमारी जीभ में छोटे-छोटे सेन्सर्स होते हैं, जिन्हें टेस्ट बड्स कहा जाता है। यही टेस्ट बड्स आपको बताते हैं कि आपने जो खाया है वह मीठा है, नमकीन है, कड़वा या फिर खट्टा है। हर टेस्ट बड में हजारों टेस्ट सेल्स हैं, जिनको अगर माइक्रोस्कोप से देखा जाए, तो छोटे बालों जैसे दिखते हैं। जब खाना लार के साथ मिलकर इन टेस्ट बड्स को छूता है, तो यह हमारे ब्रेन को बताते हैं कि हम जो खा रहे हैं उसका स्वाद कैसा है। ऐसी ही जब हम खट्टा खा (sour food) लेते हैं, तो हमारा चेहरा सिकुड़ जाता है क्योंकि खाने का स्वाद तेज और एसिडिक होता है।
दिमाग देता है बॉडी को संकेत
sour food ही हमारे चेहरे पर जो बल पड़ते हैं, वह रिएक्शन अपने आप आता है। ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि हम खतरनाक चीजों को न खाने की प्रवृत्ति रखते हैं। जाहिर है, सभी खट्टी चीजें हमारे लिए नुकसानदायक नहीं होतीं, लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं, जो हमें बीमार कर सकती हैं, जैसे कि खराब दूध या कच्चा फल। चेहरे पर बल पड़ना और आंखों का बंद हो जाना, शायद हमारे शरीर की तरफ से एक तरह का सिग्नल मिलना है कि यह खाना हमें बीमार भी कर सकता है।
क्या पूर्वजों में मिली यह आदत?
एक रिसर्च की मानें, तो sour food पर आंखों का बंद होने जैसा रिएक्शन हमें हमारे पूर्वजों से मिला है। हमारी आंखें इसलिए बंद हो जाती हैं, ताकि नींबू का रस अंदर न चला जाए, जो म्यूकस मेमब्रेन को नुकसान पहुंचा सकता है।
स्वाद की भावना कैसे विकसित हुई?
हजारों सालों में हमारी स्वाद की भावना काफी विकसित हुई है, जिससे हम यह चुन पाते हैं कि हमें क्या खाना है। गलत खाना चुन लेने का मतलब है, एनर्जी का व्यर्थ होना, खराब पोषण या कुछ ऐसा खा लेना जो जहर के बराबर हो और जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। पहले मनुष्य पेट भरने के लिए फल और पौधों पर ही निर्भर करते थे। फिर धीरे-धीरे उन्होंने कई पौधों और पत्तियों के कड़वे स्वाद को स्वीकार कर लिया।
समय के साथ, हमारी पसंद में बदलाव आया और नए तरह के स्वाद की तरफ झुकाव बढ़ा। जैसे हमें मीठा पसंद आता है क्योंकि वह चीनी का स्त्रोत है और हमें एनर्जी देता है। हमें खट्टा पसंद आता है, क्योंकि यह विटामिन-सी का स्त्रोत होता है। हमारा शरीर विटामिन-सी का उत्पादन नहीं करता है, लेकिन हेल्दी रहने के लिए यह जरूरी होता है। हमें नमक का स्वाद भी पसंद आता है, क्योंकि पहले पौधों और पत्तों में नमक की मात्रा काफी कम होती थी।