धरती पर कितना बड़ा होता है एक दिन, वैज्ञानिकों ने खोजा एकदम सटीक जवाब, आया इतना अंतर
24 hour long day measurement: एक दिन में कितने घंटे होते हैं। यह सवाल बेहद आसान है, जिसे सुनकर आप सीधे तौर पर 24 घंटे बताएंगे। वहीं अगर सेकंड में बात करें तो एक दिन में 86,400 सेकंड होते हैं। लेकिन यह संख्या इतनी भी सटीक नहीं है। पृथ्वी पर एक दिन की सटीकता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारा ग्रह एक चक्कर को पूरा करने में कितना समय लेता है। अक्सर भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाओं के साथ पृथ्वी के आंतरिक कोर में थोड़े-थोड़े बदलाव के साथ बदलता रहता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि मिलीसेकंड स्तर का यह बदलाव अप्रत्याशित है, लेकिन इन्हें मापना जरूरी है। जर्मनी में टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख के प्रोफेसर उलरिच श्रेइबर ने कहा, ‘रोटेशन में उतार-चढ़ाव खगोल विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है, हमें सटीक जलवायु मॉडल बनाने और एल नीनो जैसी मौसम की घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए भी तत्काल इसकी जरूरत है। डेटा जितना सटीक होगा, भविष्यवाणी उतनी ही सटीक होगी।’
कैसे मापा जाता है समय
श्रेइबर और उनके सहयोगियों ने दिन की लंबाई में इन बेहद छोटे बदलावों को मापा है। उन्होंने जर्मनी की एक फैसिलिटी में 4 मीटर वर्ग चौड़े रेसट्रैक लेजर रिंग जाइरोस्कोप का इस्तेमाल किया। रिसर्च टीम के अनुसार अपकरण 19.6 फीट की गहराई पर एक आधारशिला में स्थित है, इसलिए इसकी लेजर किरणें केवल पृथ्वी के घूर्णन में भिन्नता से प्रभावित होती हैं। इस जाइरोस्कोप में दो लेजर किरणें हैं। एक क्लॉकवाइज और एक काउंटर क्लॉकवाइज घूमती हैं।
कितना बदलता है समय
इस अंतर की गणना से श्रेइबर और उनके सहयोगियों ने पाया कि हमारे ग्रह के घूर्णन का समय थोड़ा-थोड़ा बदलता है। कुछ हफ्तों तक चलने वाली अवधि में 6 मिलीसेकंड तक उतार-चढ़ाव होता है। उन्होंने नेचर फोटोनिक्स जर्नल में सितंबर 2023 में प्रकाशित एक पेपर में इससे जुड़े परिणामों के बारे में बताया। आने वाले महीनों में शोधकर्ता लेजर जाइरोस्कोप को और बेहतर बनाने की योजना कर रहे हैं, ताकि यह और भी सटीक माप प्रदान कर सके।