ग्‍लोबल साउथ की आवाज बना भारत तो घबराया चीन, चली 'बीआरआई' चाल, दिल्‍ली न आने वाले पुतिन भी पहुंचे -
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ग्‍लोबल साउथ की आवाज बना भारत तो घबराया चीन, चली ‘बीआरआई’ चाल, दिल्‍ली न आने वाले पुतिन भी पहुंचे

जी 20 (G20) की अध्‍यक्षता के दौरान भारत ने दुनिया के गरीब और कम विकसित देशों की चिंताओं को जमकर उठाया। इन देशों को ग्‍लोबल साऊथ कहा जाता है और G20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान भारत उनकी आवाज बनकर उभरा। भारत ने जी20 अफ्रीकी देशों की सदस्‍यता का समर्थन करके ग्‍लोबल साऊथ के प्रति अपने समर्थन का खुलकर ऐलान भी कर दिया।

भारत की इस सफलता के बाद अब चीन भी ग्‍लोबल साऊथ को साधने में जुट गया है। चीन अपने कर्ज का जाल बन चुके बेल्‍ट एंड रोड परियोजना के 10 साल पूरे होने पर एक व‍िशाल सम्‍मेलन कर रहा है और उसने दुनिया के 130 से ज्‍यादा देशों को आमंत्रित किया है। भारत के दोस्‍त रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन भी बीआरआई सम्‍मेलन के लिए चीन पहुंच गए हैं।

चीन ने मध्‍य एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और बाकी दुनिया के लिए आधारभूत ढांचा बनाने के नाम पर 10 साल पहले बीआरआई परियोजना को शुरू किया था। इसके बाद चीन ने पाकिस्‍तान, श्रीलंका, कंबोडिया, इंडोनिशया, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में अरबों डॉलर के लोन बांटे और पुल से लेकर एयरपोर्ट तक बनाया है। चीन के कर्ज जाल में फंसकर श्रीलंका जैसे कई देश तबाह भी हो गए। चीन ने जिन देशों में यह परियोजना चलाई उनमें बड़ी तादाद में ग्‍लोबल साऊथ के देश हैं।

चीन कर रहा है शक्ति प्रदर्शन

China ने बीआरआई के जरिए दुनियाभर में अपना बहुत ज्‍यादा प्रभाव बढ़ा लिया है। वहीं बीआरआई को लेकर पश्चिमी देश और भारत सतर्क है। भारत ने चीन के बीआरआई में शामिल होने से ही इंकार कर दिया था। कोव‍िड के बाद चीन पहली बार इतना बड़ा सम्‍मेलन कर रहा है। दुनिया के 130 से ज्‍यादा देश मंगलवार से दो दिन तक बैठक करेंगे। इसमें हंगी के पीएम यूरोपीय संघ के प्रमुख सदस्‍यों में हैं जो इसमें शामिल हो रहे हैं। व‍िश्‍लेषकों का कहना है कि ऐसे समय पर जब चीन का पश्चिमी देशों के साथ तनाव बढ़ रहा है, शी जिनपिंग अब ग्‍लोबल साऊथ के देशों को साधने में जुट गए हैं।

China के इस प्‍लान में रूस का भी पूरा साथ मिल रहा है जो यूक्रेन युद्ध के बीच प्रतिबंधों की मार झेल रहा है। रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन भी चीन पहुंच गए हैं जो भारत में हुए जी20 सम्‍मेलन के दौरान नहीं आए थे। इसके अलावा तालिबानी प्रतिनिधि बीआरआई सम्‍मेलन में पहुंचे हैं। चीन की योजना है कि सीपीईसी परियोजना को पाकिस्‍तान से अफगानिस्‍तान तक बढ़ाया जाए। सीपीईसी बीआरआई का ही हिस्‍सा है। पुतिन अपने खिलाफ अंतरराष्‍ट्रीय आपराधिक अदालत के वारंट जारी होने के बाद पहली बार व‍िदेश यात्रा पर निकले हैं। चीन इस संधि का हिस्‍सा नहीं है, ऐसे में उनके लिए यह सुरक्षित जगह है।

चीन क्‍यों पहुंचे हैं पुतिन, समझें

यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन और शी जिनपिंग के बीच दोस्‍ती अब सभी सीमाओं के पार चली गई है। रूस अब चीन के साथ सुर में सुर मिला रहा है। चीन के बाद रूस ने भी जापान के सीफूड पर बैन लगा दिया। रूस इस बीआरआई प्रॉजेक्‍ट का हिस्‍सा नहीं है लेकिन फिर भी पुतिन का पहुंचना एक बड़ा संदेश देता है।

व‍िश्‍लेषकों के मुताबिक यह चीन और रूस के बीच बढ़ती दोस्‍ती का संकेत है। चीन इस बीआरआई मंच का इस्‍तेमाल पश्चिमी देशों के कथित आधिपत्‍य के खिलाफ गोलबंदी के लिए कर रहा है। चीन बीआरआई को भले ही बढ़ावा दे रहा है लेकिन यह उसके लिए संकट का सबब बन गया है। चीन ने साल 2013 से लेकर साल 2021 तक के बीच में 331 अरब डॉलर का बीआरआई लोन बांटा लेकिन अब कई देश इसे लौटा नहीं पा रहे हैं। इसमें श्रीलंका, पाकिस्‍तान और कई अफ्रीकी देश शामिल हैं। ऐसे में यह ग्‍लोबल साऊथ के देशों के लिए कर्ज जाल में फंसने की वजह बन गया है। यही वजह है कि चीन अब कर्ज देने में आनाकानी करने लगा है।

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