भारत ने UNGA में Pak PM Shehbaz Sharif के भाषण की खिंचाई की
जानिए क्या कहा भारत ने शनिवार को UNGA में
भारत ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 77वें सत्र में अपने संबोधन के दौरान ‘भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाने’ के लिए पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ को बुलाया। एक कड़े संदेश में, संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन के पहले सचिव, मिजिटो विनिटो ने 26/11 के भीषण मुंबई हमले के पीछे आतंकवादियों को पनाह देने के लिए पाकिस्तान की खिंचाई की और उस पर सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया।
यह खेदजनक है कि पाकिस्तान के पीएम ने भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए इस सभा का मंच चुना। उसने अपने ही देश में कुकर्मों को छिपाने और भारत के खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराने के लिए ऐसा किया है।
जानिए भारत ने क्या जवाब दिया शरीफ के बयान पर
शरीफ के बयान पर -भारत ने जवाब दिया “हम अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति चाहते हैं”;, “एक राज्य जो दावा करता है कि वह अपने पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है, वह कभी भी सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित नहीं करेगा, न ही भयानक मुंबई आतंकवादी हमले के आश्रय योजनाकारों … अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव के बाद ही अपने अस्तित्व का खुलासा करेगा।
साथ ही उन्होंने अपने समापन बयान में कहा भारतीय उपमहाद्वीप में शांति, सुरक्षा और प्रगति की इच्छा निश्चित रूप से तब होगी जब सीमा पार आतंकवाद समाप्त हो जाएगा, जब सरकारें अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अपने लोगों के साथ साफ हो जाएंगी, जब अल्पसंख्यकों को सताया नहीं जाएगा।
पाकिस्तानी पीएम ने इससे पहले UNGA के 77वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया था
पाकिस्तानी पीएम ने इससे पहले UNGA के 77वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया था और कहा था कि वह भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है। उन्होंने कहा, “दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता हालांकि जम्मू-कश्मीर विवाद के न्यायसंगत और स्थायी समाधान पर निर्भर है…” उन्होंने 2019 में भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को निरस्त करने का भी मुद्दा उठाया।
भारत को रचनात्मक जुड़ाव के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने चाहिए। हम पड़ोसी हैं और हमेशा के लिए हैं, चुनाव हमारा है कि हम शांति से रहें या आपस में लड़ते रहें। इस साल अप्रैल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने शहबाज शरीफ ने आगे कहा, अब यह हम पर निर्भर है कि हम अपने मतभेदों, अपनी समस्याओं और अपने मुद्दों को शांतिपूर्ण बातचीत और चर्चा के जरिए सुलझाएं।