जानिए Chhath Puja के दौरान औरतें नाक तक लंबा सिंदूर क्यों करती है धारण -
Chhath Puja

जानिए Chhath Puja के दौरान औरतें नाक तक लंबा सिंदूर क्यों करती है धारण

शुक्रवार यानी 28 अक्टूबर से महापर्व छठ की शुरुआत हो रही है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का खास महत्व होता है। नहाय खाय के साथ इस छठ शुरू होता है, जो कि पारण तक चलता है। छठ में साफ-सफाई का विशेष रूप से ख्याल रखना पड़ता है। इस पर्व में हर नियम का पालन करना अनिवार्य होता है। Chhath Puja में व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं। वहीं Chhath Puja में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस पूजा में व्रती महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती हैं, जिसका भी खासा महत्व होता है।यही वजह है कि इस दिन महिलाएं लंबा सिंदूर लगाए हुए नजर आती हैं।

नाक तक सिंदूर लगाने के पीछे का महत्व

Chhath Puja में व्रती महिलाएं पूरा श्रृंगार करती हैं। इसके साथ नाक तक सिंदूर भी जरूर लगाती हैं। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में सवाल उठता है कि इसके पीछे ऐसी क्या मान्यता है। दरअसल, सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। तो महिलाएं जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं उनके पति की आयु उतनी लंबी होती है। पति की दीर्घायु के लिए ही व्रती महिलाएं Chhath Puja के पावन मौके पर नाक तक सिंदूर लगाती हैं।

सिंदूर लगाने का नियम

हिंदू धर्म में सिंदूर का महत्व काफी है, इसलिए इसे नियम के साथ ही लगाएं। कहा जाता है कि नहाने के बाद सबसे पहले सिंदूर लगाना चाहिए। वहीं सुहागिन महिलाओं को कभी भी खाली मांग नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि सिंदूर जितन लंबा रहेगा पति की आयु भी उतनी ही लंही होगी। यही वजह है कि तीज त्योहार पर विवाहित स्त्रियों को भर मांग सिंदूर लगाने के लिए कहा जाता है।

सती की उर्जा का प्रतिक सिंदूर का लाल रंग

हमारे देश में हिंदू विवाह के दौरान सिंदूर लगाने की रस्म शादी की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र रस्म मानी जाती है। और कोई भी शादी इस रस्म को किए बिना पूरी नहीं मानी जाती। पौराणिक कथाओं की मानें तो लाल रंग शक्ति का रंग माना जाता है और सिंदूर को पार्वती और सती की उर्जा का प्रतीक माना जाता है। हमारे देश में सती को एक आदर्श पत्नी के रूप में पूजा जाता है। जिन्होंने अपने पति के सम्मान के लिए अपना जीवन त्याग दिया था।

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