Kuldeep Yadav Ind vs Ban:... कुलदीप यादव जैसे गेंदबाज ही क्यों है सस्ते शिकार? -
Kuldeep Yadav Ind vs Ban

Kuldeep Yadav Ind vs Ban:… कुलदीप यादव जैसे गेंदबाज ही क्यों है सस्ते शिकार?

जानिए कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) के बारे में

कप्तान के एल राहुल ने जब मीरपुर टेस्ट के लिए प्लेइंग इलेवन की घोषणा की तो भारतीय क्रिकेट फैंस अपने कानों पर यकीन नहीं कर पाए। क्या Kuldeep Yadav को फिर से बाहर कर दिया गया है? क्रिकेट में कप्तान अक्सर पिच और संतुलन का तर्क देते हुए खिलाड़ियों को अंदर-बाहर करते रहते हैं और उस पर हमेशा विवाद और चर्चा भी होती रहती है। लेकिन, किसी युवा खिलाड़ी ने पिछले मैच में 8 विकेट लिए हों, मैन ऑफ द मैच रहें हों उन्हें सिर्फ हरी घास का तर्क देकर बाहर करना हर किसी के गले से आसानी से नहीं उतरने वाला। खासकर अगर आप कानपुर के कुलदीप यादव को देखें तो आपको उनके साथ सहानुभूति ही होगी।

पूर्व कप्तान और पूर्व कोच की भूमिका में रह चुके भारत के सबसे बड़े मैच-विनर अनिल कुंबले ने कुलदीप को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2017 में धर्मशाला में टेस्ट मैच खिलवाया और यादव छा गए। कुंबले ने उसी टेस्ट के दौरान शेन वॉर्न के साथ उनकी मुलाकात भी करवाई जो यादव से बेहद प्रभावित थे। लेकिन इसके बाद कुलदीप बहुत ज्यादा मैच नहीं खेल पाए। इसके बाद टीम इंडिया के कोच बने रवि शास्त्री।

कुलदीप ने इस दौरान ऑस्ट्रेलिया दौरे पर शानदार खेल दिखाया

कुलदीप ने इस दौरान ऑस्ट्रेलिया दौरे पर शानदार खेल दिखाया और शास्त्री ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि विदेशी जमीं पर वो वो टीम इंडिया के पहले स्पिनर होंगे। अपने शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने ये नहीं कहा कि रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा से कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) विदेशी पिचों पर ज्यादा मारक गेंदबाज हैं लेकिन उनके कहने का मतलब बिल्कुल यही था। लेकिन, उसके बाद विडंबना देखिए कि कुलदीप नंबर 1 तो क्या ड्रिंक्स बॉय की भूमिका के लिए भी तरस गए।

ऐसा नहीं है कि कुलदीप के साथ ये पक्षपाती रवैया सिर्फ लाल गेंद की क्रिकेट तक सीमित रहा । एक समय युजवेंद्र चहल के साथ मिलकर ‘कुल-चा’ की मशहूर जोड़ी बनाने वाले यादव कैसे धीरे धीरे भारतीय क्रिकेट में पीछे चले गए वो अपने आप में एक बड़ी कहानी है। दबी जुबान में ये भी कहा जाता है कि कुलदीप को क्रिकेट की वजह से नहीं भारतीय क्रिकेट के एक बेहद ताकतवर शख्स की उनके खिलाफ नाराजगी के चलते कई सालों तक बाहर बैठाकर रखा गया।

बहरहाल, इन तमाम मुश्किलों और मायूसी से निपटते हुए कुलदीप ने फिर से टीम में वापसी की

बहरहाल, इन तमाम मुश्किलों और मायूसी से निपटते हुए कुलदीप ने फिर से टीम में वापसी की। पिछले 1 साल में टीम इंडिया के साथ लगभग हर दौरे पर जब भी इस लेखक ने कुलदीप को अभ्यास करते देखा, टीम मैनेजमेंट और खिलाड़ियों के साथ उनके तालमेल और खुशमिजाजी को देखा ऐसा आभास हुआ कि चलो कुलदीप का बुरा दौर खत्म हुआ। न्यूजीलैंड दौरे पर तो वीवीएस लक्ष्मण उनकी बल्लेबाजी पर ख़ास तौर पर काम कर रहे थे और यादव ने अपने बल्ले को भी गंभीरता से लेना शुरु कर दिया है।

एक और बात चलते चलते, भारतीय क्रिकेट में ही नहीं दुनिया भर में अक्सर गेंदबाजों को पारी में 5 विकेट या मैन ऑफ द मैच के बावजूद अगले मैच में बाहर का रास्ता कोई भी तर्क देकर हटा दिया जाता है लेकिन आपने बहुत कम देखा होगा कि शतक बनाने वाले बल्लेबाज को अगले मैच से प्लेइंग से बाहर किया जाए। ये भी तर्क बल्लेबाजों पर लागू नहीं होता है कि उपमहाद्वीप में ये रन बनाने वाले बल्लेबाज है इस ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड की पिचों पर नहीं खिलाया जाए। तो फिर ऐसे सारे पूर्वाग्रह वोली सोच का शिकार Kuldeep Yadav जैसे ही गेंदबाजों को क्यों होना पड़ता है?

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