Moon Mission: चांद पर नहीं मिला ‘सुपर ओवर’, मुश्किल पिच पर ‘बैटिंग’ कर अमर हो गए विक्रम-प्रज्ञान
Moon Mission: वर्ल्ड कप के आगाज के साथ आज से भारतीयों के दिलों में क्रिकेट का खुमार बढ़ता जाएगा। हालांकि चांद पर अपने चंद्रयान-3 को दूसरी पारी खेलने का मौका नहीं मिला है। जी हां, 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग के बाद 14 दिनों तक सब ठीक चला था लेकिन रात के बाद अपने दोनों ‘बैट्समैन’ विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान नींद से नहीं जागे हैं। दूसरी बार चांद पर सूर्यास्त हो गया है और धीरे-धीरे रात ठंडी होती चाएगी। वैसे, भारत के इस ऐतिहासिक मिशन को लेकर निराश होने की जरूरत कतई नहीं है। अपने विक्रम और प्रज्ञान को धरती के 14 दिनों (चांद के एक दिन) के लिए ही भेजा गया था।
इसके बाद अगर ये अपना काम करते तो क्रिकेट की भाषा में यह सुपर ओवर होता। करोड़ों भारतीय कामना कर रहे थे कि चमत्कार हो। यह इसरो का बोनस होता। फिर भी विक्रम और प्रज्ञान ने भारतीयों को जो उत्साह और गौरव के पल महसूस कराए हैं उसे आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी। चांद की मुश्किल पिच पर अपने धुरंधरों ने तय टाइम लिमिट में शानदार ‘बैटिंग’ की। इसरो ही नहीं, पूरे भारत को अपने दूतों पर गर्व है। वे चांद पर अमर हो गए हैं। जब कोई भारतीय अंधेरी रात में चांद की तरफ देखेगा तो उसे महसूस होगा कि वहां भी कोई अपना है।
नहीं उठे वे दोनों
स्लीप मोड में डाले जाने के बाद इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी दोनों के जागने के लिए अंतिम दिन तक इंतजार करेगी क्योंकि एक छोटा सा मौका भी इसरो को विक्रम और प्रज्ञान के जरिए एक्सपेरिमेंट दोहराने का का अवसर देगा। हालांकि पौन चार लाख किमी दूर भारत के तीसरे मून मिशन को ‘सुपर ओवर’ नहीं मिला।
चंद्रयान-3 के प्रमुख केंद्र यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक एम शंकरन ने अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘लैंडर और रोवर नहीं जागे। अगली रात के बाद उनके फिर से जागने की संभावना बहुत कम है, फिर भी हम उस विकल्प को बंद नहीं कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि विक्रम और प्रज्ञान दोनों ने एक मुश्किल पिच पर शानदार प्रदर्शन किया। प्रज्ञान काफी दूर चला। वहां से तस्वीरें, जानकारियां, कई इलाकों के बारे में जानकारी और लैंडर ने फिर से साहसिक उड़ान भरी। दरअसल, चांद पर रात में तापमान -200 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। वैसे भी विक्रम-प्रज्ञान को चांद के केवल एक दिवस के लिए भेजा गया था।
मिशन सक्सेसफुल
शंकरन ने कहा कि यह मिशन कोई रिमोट सेंसिंग या कम्युनिकेशन सैटेलाइट की तरह नहीं है। ऐसे में विक्रम और प्रज्ञान पेलोड से डेटा की मात्रा ज्यादा नहीं होगी लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें पहले दिन काम करने पर जो मिला है उसका निष्कर्ष क्या आएगा। आंकड़ों का विश्लेषण जारी है। उन्होंने कहा कि प्रॉपल्शन मॉड्यूल पेलोड- स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) से काफी डेटा इकट्ठा किया गया है, जो चंद्रमा के चारों ओर घूमते समय पृथ्वी जैसे रहने योग्य ग्रह की विशेषताओं का अध्ययन करेगा। अपना ऑर्बिटर काम करता रहेगा। कुल मिलाकर चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुल रहा है।