रूस नहीं, भविष्य में डिफेंस डील के लिए अमेरिका है भारत का भरोसेमंद साथीः फरीद जकारिया -
PM Narendra Modi

रूस नहीं, भविष्य में डिफेंस डील के लिए अमेरिका है भारत का भरोसेमंद साथीः फरीद जकारिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 21 जून से अमेरिका की राजकीय यात्रा पर जाएंगे. इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से तीन अरब डॉलर में 31 प्रीडेटर (एमक्यू-9बी सीगार्डियन) ड्रोन खरीदी के सौदे को मंजूरी दे दी है. यात्रा को लेकर भारत और अमेरिका दोनों ही उत्साहित हैं. वहीं, इस दौरे को लेकर इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने इंडो-अमेरिकी पत्रकार और जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद रफीक जकारिया से खास बातचीत की।

इस इंटरव्यू में फरीद जकारिया ने कहा, ‘भारत के पास अत्याधुनिक हथियार होने के साथ ही उसे मिलिट्री टेक्नोलॉजी में सबसे आगे होने की सख्त जरूरत है. लेकिन वर्तमान में भारत दूसरे दर्जे के रूसी हथियारों और उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है.’ जकारिया ने यह बात तब कही है, जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत हथियार आपूर्तिकर्ता के तौर पर अमेरिका पर भरोसा कर सकता है?

भारत-अमेरिका के बीच समझौते की संभावना

जकारिया की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, PM Narendra Modi की वॉशिंगटन की पहली राजकीय यात्रा से पहले जब रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन लेने की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही अब देश में GE-414 फाइटर जेट इंजन के निर्माण को लेकर भारत और अमेरिका के बीच समझौते की संभावना भी बढ़ गई है. इस इंजन का निर्माण अमेरिकी फर्म जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) कर रही है।

रूस के हथियारों की गुणवत्ता घटने की उम्मीद

जकारिया ने कहा कि अगर भारत कभी भी अमेरिका से स्वतंत्र रुख अपनाने का फैसला लेता है. तो, यह संभावना नहीं है कि अमेरिका उन हथियारों का इस्तेमाल करेगा, जो वह भारत को आपूर्ति करेगा. जर्मनी, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ अमेरिका के संबंधों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं केवल इतना बता सकता हूं कि अमेरिका ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ कैसा व्यवहार किया है।

फरीद जकारिया ने रूसी उपकरणों की तुलना अमेरिका में निर्मित उपकरणों से की और कहा कि पहले खाड़ी युद्ध के दौरान भी पूर्व का कोई मुकाबला नहीं था. उन्होंने कहा, ‘जब आप अमेरिकी उपकरणों को रूसी उपकरणों के बराबर रखते हैं तो यह दूसरे नंबर पर भी नहीं आते, बल्कि इनका स्तर चौथे स्थान का होता है।

वर्तमान में उपयोग किए जा रहे रूसी उपकरणों की आलोचना करते हुए जकारिया ने कहा, ‘अगर आपको यह देखना है कि रूसी उपकरण कैसे चल रहे हैं, तो आपको केवल यह देखना है कि यूक्रेन में क्या हो रहा है. उपकरणों की गुणवत्ता घटने की उम्मीद है, क्योंकि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण वह जरूरी तकनीक से वंचित है।

मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था के साथ किया बेहतर काम’

नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी बेहतर काम किया है. हालांकि संसद में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व के मामले में स्थिति ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बनी हुई है. भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार फरीद जकारिया ने इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पिछली सरकारों की तुलना में अर्थव्यवस्था को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया है।

उन्होंने कहा ‘मोदी सरकार ने दो मूलभूत तरीकों को अपनाकर अर्थव्यवस्था पर अच्छा काम किया है. इसमें से पहला है अन्य भारतीय सरकारों की तुलना में चीजों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करना और दूसरा है कम भ्रष्टाचार के साथ काम.’ जकारिया ने आगे कहा- सरकार ने कई सुधार नहीं किए हैं. कृषि सुधारों को ही देखें तो भूमि और श्रम सामान करना भारत में बहुत कठिन है और बीजेपी इसमें सफल नहीं रही है. हालांकि पार्टी कई अलग-अलग मोर्चों पर सफल रही है, जिनमें खासतौर पर बुनियादी ढांचे, डिजिटल बुनियादी ढांचे और भौतिक बुनियादी ढांचे शामिल हैं।’

सरकार सभी भारतीयों तक नहीं पहुंच पाई’

जकारिया ने कहा कि ध्यान देने वाली बात यह है कि मोदी सरकार की वृद्धि पिछली सरकारों की औसत विकास दर से अलग नहीं है. सच कहूं तो, राजीव गांधी के बाद से, उदारीकरण की ओर एक कदम बढ़ा है और विकास दर में तेजी आई है. हालांकि, यह वृद्धि 5-6-7 प्रतिशत की दर से ज्यादा नहीं दिखती है. उन्होंने कहा कि ‘जो भी हुआ है वह 25 साल की वृद्धि का संचयी प्रभाव है. लेकिन, आप इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि मोदी सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है. उनके पास अनुभव के तौर पर गुजरात है. जकारिया ने आगे कहा कि ‘वह इस बात से निराश हैं कि सरकार सभी भारतीयों तक नहीं पहुंच पाई है।

जकारिया ने इस बात पर जताई निराशा

फरीद जकारिया ने कहा ‘हिंदू राष्ट्रवादी मोर्चे पर मैं इस बात से निराश हूं कि सरकार सभी भारतीयों तक नहीं पहुंच पाई है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके साथ ही उन्होंने बदलाव की उम्मीद जताते हुए कहा कि ‘मुझे लगता है कि यह अभी की सच्चाई है. उदाहरण के लिए, जहां तक ​​मेरी जानकारी है, लोकसभा में पूरे सत्तारूढ़ गठबंधन में एक भी मुस्लिम नेता नहीं है, और भारत में लगभग 200 मिलियन मुसलमान हैं. इसलिए प्रतिनिधित्व की कमी वह नहीं है जिसकी आप दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से उम्मीद करेंगे।

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