PM Modi Speech: ‘जब भारत आगे बढ़ता है तो दुनिया आगे बढ़ती है’, नई संसद में बोले पीएम मोदी
New Parliament Inauguration: नए संसद भवन के उद्घाटन के दूसरे चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की विकास यात्रा में कुछ पल अमर हो जाते हैं. 28 मई ऐसा ही दिन है। उन्होंने कहा (PM Modi Speech) कि यह सिर्फ एक भवन नहीं है, बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है।
उन्होंने कहा कि आज का दिन देश के लिए शुभअवसर है. आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश अमृतमहोत्सव मना रहा है. इस अमृतमहोत्सव में भारत के लोगों ने अपने लोकतंत्र को संसद के इस नए भवन का उपहार दिया है । आज सुबह ही संसद भवन परिसर में सर्वपंथ प्रार्थना हुई, मैं सभी देशवासियों को भारतीय लोकतंत्र के इस स्वर्णिम पल की बधाई देता हूं।
आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा संसद भवन – पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा (PM Modi Speech) कि नई संसद आत्मनिर्भर भारत का साक्षी बनेगा. ये विश्व को भारत के दृढ़संकल्प का संदेश देता है. हमारे लोकतंत्र का मंदिर है. ये नया संसद भवन योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, इच्छा शक्ति को क्रिया शक्ति से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। ये नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानी के सपनों को साकार करने का माध्यम बनेगा. ये नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा।ये नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते देखेगा । ये नया भवन नूतन और पुरातन के सहअस्तित्व का भी आदर्श होगा ।
उन्होंने कहा कि आज इस ऐतिहासिक अवसर पर पवित्र सेंगोल को संसद में स्थापित किया गया है. महान चोल साम्राज्य के दौरान सेंगोल को कर्तव्यपथ का, सेवापथ का और राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता है। राजाजी और अधीनम के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। उन्होंने कहा कि जब भारत आगे बढ़ता है तो विश्व आगे बढ़ता है। संसद का ये नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का भी आह्वान करेगा. उन्होंने कहा कि नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं. आज नया भारत नए रास्ते गढ़ रहा है और नए लक्ष्य तय कर रहा है।
वैश्विक लोकतंत्र का बड़ा आधार है भारत – पीएम मोदी
भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, लोकतंत्र की जननी भी है । भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है. लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है. हमारे वेद हमें सभाओं और समितियों के आदर्श सिखाते हैं । महाभारत जैसे ग्रंथों में गणों और गणतंत्रों की व्यवस्था का उल्लेख मिलता है. हमने वैशाली जैसे गणतंत्रों को जी कर दिखाया है । हमने भगवान बसवेश्वर के अनुभव मंडपा को अपना गौरव माना है।