Rocket Force India: रॉकेट फोर्स क्या होती है जिसको बनाने जा रहा भारत, गेमचेंजर कैसे बनेगी प्रलय मिसाइल, सब कुछ जानें -
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Rocket Force India: रॉकेट फोर्स क्या होती है जिसको बनाने जा रहा भारत, गेमचेंजर कैसे बनेगी प्रलय मिसाइल, सब कुछ जानें

चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरों के बीच भारत रॉकेट फोर्स बनाने की तैयारी में है (Rocket Force India)। इसके लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय 7500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से प्रयल बैलिस्टिक मिसाइलों की 250 यूनिट का ऑर्डर देने वाला है। यह कदम पिछले साल दिसंबर में रक्षा मंत्रालय से भारतीय वायु सेना के लिए इन मिसाइलों की नई यूनिट को मंजूरी देने के बाद उठाया गया है। प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलें 150 से 500 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य भेद सकती हैं। दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए प्रलय मिसाइल को रोकना लगभग नामुमकिन है। वर्तमान में प्रलय की रेंज को बढ़ाने पर भी काम चल रहा है, ताकि उसकी प्रभावशीलता को और ज्यादा बढ़ाया जा सके। इस मिसाइल को सबसे पहले भारतीय वायु सेना में शामिल किया जाएगा और उसके बाद भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा।

क्या होती है रॉकेट फोर्स (Rocket Force India)

युद्ध या सैन्य कार्रवाई के बारे में सोचने पर हमारे दिमाग में जो छवि बनती है, वह सैनिकों, टैंकों और लड़ाकू विमानों की है। ये सभी दुश्मनों के साथ सीधे युद्ध में उलझे होते हैं। इसमें व्यापक तौर पर जनहानि भी होती है। ऐसे में युद्ध का यह दृष्टिकोण अब अप्रचलित होता जा रहा है। भविष्य के युद्धों में तेजी से और निर्णायक रूप से जमीन पर सैनिकों को तैनात किए बिना दुश्मन के सामरिक और सैन्य अड्डों को तगड़ी चोट पहुंचाने के लिए नए-नए उपाय खोजे जा रहे हैं।

उनमें से ही एक तरीका मिसाइलों के जरिए होगा। मिसाइल लंबी दूरी तक बिना जनहानि के प्रभावी तरीके से हमला करने में सक्षम हैं। ऐसे में दुनियाभर के शक्तिशाली देश अब सेना के अलग रॉकेट फोर्स का गठन कर रहे हैं। रॉकेट फोर्स देश की मिसाइलों को ऑपरेट करती है। इनका प्रमुख काम सेना, वायु सेना और नौसेना के साथ मिलकर दुश्मन के ठिकाने पर हमले को अंजाम देना है। भारत में अभी तक रॉकेट फोर्स का काम कोर ऑफ आर्टिलरी करती है। इसमें टैंक, तोप और मिसाइलें भी शामिल हैं।

भारत क्यों बनाना चाहता है Rocket Force

3400 किलोमीटर की एलएसी पर भारत के लिए दोहरी चुनौती है। भारत को भारी पारंपरिक ताकतों के इस्तेमाल के बिना चीनी सेना के खिलाफ युद्ध के लिए विकल्प को तैयार करना है। दूसरा, पर्याप्त लंबी दूरी की मारक क्षमता को बनाए रखना है, जिसका इस्तेमाल किसी भी परिस्थिति में तुरंत किया जा सके। ऐसे में एक इंट्रीग्रेटेज रॉकेट फोर्स इन दोनों उद्देश्यों को पूरा करता है।

भारत के दिवांगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने 2021 में रॉकेट फोर्स के संचालन का सुझाव दिया था। इस फोर्स की कमान और नियंत्रण शुरू में एक ही सर्विस के हाथ में किया जा सकता है। बाद में अगर जरूरत पड़ी तो नौसेना और वायु सेना के लिए भी अलग से रॉकेट फोर्स बनाई जा सकती है। इससे चीन और पाकिस्तान से युद्ध के समय तत्काल जवाबी कार्रवाई की जा सकती है। यह कार्रवाई इतनी सटीक और प्रभावी होगी कि दुश्मन को जवाबी हमला करने का मौका भी नहीं मिलेगा।

रॉकेट फोर्स (Rocket Force India) से क्या फायदा

रॉकेट फोर्स के बनने से भारतीय सेना के कोर ऑफ आर्टिलरी के ऊपर से दबाव हटेगा। यह फोर्स न केवल भारत के स्ट्रैटजिक हथियारों को कंट्रोल करेगी, बल्कि मौका मिलने पर जवाबी कार्रवाई के लिए तुरंत ही तैयार होगी। स्पेशलाइज्ड यूनिट होने के कारण रॉकेट फोर्स अपने हमलों में और ज्यादा धार ला सकती है। भारत दो तरफ से दुश्मनों से घिरा है, जहां का प्राकृतिक वातावरण काफी विषम है। चीन की तरफ की एलएसी पर हिमालय की दुर्गम चोटियां हैं, जहां सैनिकों और भारी हथियारों को आसानी से तैनात नहीं किया जा सकता है। वहीं, पाकिस्तान की सीमा पर से सैनिकों की संख्या को कम कर रॉकेट फोर्स को जवाबी कार्रवाई के उपकरण के रूप में तैनात किया जा सकता है। पाकिस्तान भारत के रॉकेट फोर्स का नाम सुनकर ही कभी भी हमले की हिमाकत नहीं करेगा। इससे सैनिकों के हताहत होने की संख्या भी कम होगी।

प्रलय मिसाइल गेम चेंजर कैसे

प्रलय आधी बैलिस्टिक मिसाइल है, जो सतह से सतह पर मार कर सकती है। डीआरडीओ ने प्रलय मिसाइल को इंटरसेप्टर मिसाइल पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (PDV) और प्रहार मिसाइल को मिलाकर विकसित किया है। प्रलय मिसाइल की रेंज 150 से 500 किमी है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के अलावा, यह भारत द्वारा तैनात की जाने वाली एकमात्र पारंपरिक सामरिक युद्धक्षेत्र मिसाइल है। इस मिसाइल का संचालन भारत की सामरिक बल कमांड के हाथ में न होकर रॉकेट फोर्स के हाथों में होगा। ऐसे में प्रलय चीन के खिलाफ भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई का एक विकल्प बन सकता है।

holocaust missile अपने साथ 350 से 700 किलोग्राम तक हाई एक्सप्लोसिव पेनेट्रेशन-कम-ब्लास्ट (पीसीबी) और रनवे डेनियल पेनेट्रेशन सबम्यूनिशन (RDPS) लेकर जा सकती है। इस मिसाइल के जरिए 500 किलोमीटर की रेंज में दुश्मनों के बंकर, कम्यूनिकेशन सेंटर और रनवे जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। यह मिसाइल चीनी सेना के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में अधिकतम लाभ प्रदान कर सकती है।

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