दुनिया में बढ़ा तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा… NATO के सम्मेलन से बौखलाया रूस, पश्चिमी देशों को दी धमकी -
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दुनिया में बढ़ा तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा… NATO के सम्मेलन से बौखलाया रूस, पश्चिमी देशों को दी धमकी

नाटो शिखर सम्मेलन (NATO conference) में यूक्रेन के लिए एक सुरक्षा पैकेज पर हस्ताक्षर किए गए। इसे देखते हुए पुतिन के सहयोगी दिमित्री मेदवेदेव ने वॉर्निंग दी है कि दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के करीब बढ़ रही है। क्रेमलिन की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के उप सचिव मेदवेदेव ने जोर देकर कहा कि ये सहायता रूस को अपने लक्ष्यों को हासिल करने से नहीं रोक सकेगी। लिथुआनिया में नाटो शिखर सम्मेलन के खत्म होने के पहले दिन मेदवेदेव ने टेलीग्राम पर कहा, ‘पूरी तरह से पागल पश्चिम और भी कुछ नहीं सोच सका। यह एक डेड एंड है। तीसरा विश्वयुद्ध करीब है।’

उन्होंने कहा, ‘ये सब हमारे लिए क्या मायने रखता है। स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन अपने लक्ष्यों के साथ जारी रहेगा।’ इस बीच जी-7 देशों ने नाटो शिखर सम्मेलन (NATO conference) से अलग एक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किया और यूक्रेन के साथ जब तक संभव हो तब तक खड़े होने का वादा किया। यूके, अमेरिका, जापान, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और इटली के नेताओं ने एयर डिफेंस सिस्टम, आर्टिलरी, बख्तरबंद गाड़ियां देने से जुड़ा समझौता किया। वहीं ब्रिटेन का और भी ज्यादा यूक्रेनी पायलटों को ट्रेनिंग देगा।

साइबर सपोर्ट देगा जी-7

ब्रिटेन का कहना है कि जो भी ऑफर किया जाएगा, वह एग्रीमेंट में लिखा होगा। जी-7 नेताओं ने एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया। इसमें उन्होंने कहा, ‘हम यूक्रेन के साथ खड़े रहेंगे, क्योंकि वह रूसी आक्रामकता के खिलाफ, जब तक जरूरत हो खुद का बचाव करेगा।’ इसके अलावा यूक्रेन की डिफेंस इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और साइबर सपोर्ट का भी लक्ष्य जी-7 ने रखा है। इसके साथ ही जी-7 देशों ने यूक्रेन को नाटो सदस्य बनाने पर प्रतिबद्धता जताई।

न्यूक्लियर युद्ध की धमकी

इस दौरान लगातार बढ़ रहे युद्ध के बीच मेदवेदेव ने बार-बार न्यूक्लियर वॉर की धमकी दी। हफ्ते भर पहले उन्होंने चेतावनी दी थी कि दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की कगार पर खड़ी है और परमाणु युद्ध का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके लिए पश्चिमी देश दोषी हैं। वहीं, पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मेदवेदेव की धमकियों को दोगुना किया है। इस बात पर उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यूक्रेन को मदद देने के बेहद नकारात्मक परिणाम होंगे। यूक्रेन को मदद देना रूस की सुरक्षा के खिलाफ माना जाएगा।

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