Prime Minister Prachanda के भारत के प्रति रुख में आई इस ‘नरमी’ के दो जानिए बड़े कारण -
Prime Minister Prachanda

Prime Minister Prachanda के भारत के प्रति रुख में आई इस ‘नरमी’ के दो जानिए बड़े कारण

नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ भारत के साथ संबंधों में और मजबूती के संकेत दे रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले प्रचंड ने इस बार नेपाली PM की पहले विदेश दौरे पर भारत आने की परंपरा को कायम रखने का फैसला किया है। प्रचंड (Prime Minister Prachanda) के पूर्ववर्ती PM शेर बहादुर देउबा और केपी शर्मा ओली भी पद संभालने के बाद परंपरा काे निभाते हुए अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आए थे।

संभावना है कि प्रचंड अप्रैल के दूसरे हफ्ते में भारत दौरे पर आएंगे। इसके लिए प्रचंड (Prime Minister Prachanda) ने चीन की ओर से 28 मार्च को हेनान में होने वाली बोआओ फोरम की बैठक से किनारा करने का मानस बनाया है। 2008 में जब प्रचंड पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे, वे अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत नहीं जाकर चीन गए थे। उस वक्त उन्होंने चीन में हुए ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में शिरकत की थी।

1 सत्ता में लंबी पारी के लिए भारत की ओर से नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते

नेपाल के राजनीतिक विश्लेषक कमल देव भट्‌टाराई ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि प्रचंड जानते हैं कि यदि उन्हें लंबे समय तक बतौर प्रधानमंत्री सत्ता में रहना है तो वे भारत की नाराजगी मोल नहीं ले सकते हैं। चीन से पहले भारत की यात्रा पर जाकर प्रचंड ये स्पष्ट रूप से संदेश देना चाहते हैं कि वे कतई चीन के समर्थक नहीं हैं और भारत के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। भट्‌टाराई का कहना है कि प्रचंड जैसे कम्युनिस्ट नेता के नेतृत्व वाली सरकार को चीन समर्थक के रूप में देखा जाए, लेकिन प्रचंड की इस बार की सरकार इस बार काफी हद तक प्रो इंडिया और प्रो वेस्ट है।

चीन से पहले भारत की यात्रा पर जाकर प्रचंड ये स्पष्ट रूप से संदेश देना चाहते हैं कि वे कतई चीन के समर्थक नहीं हैं।

2 अब भारत समर्थक नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन, इसलिए झुकाव बढ़ा

प्रचंड ने दो महीने पहले केपी शर्मा ओली के साथ बने कम्युनिस्ट पार्टियों के गठबंधन को तोड़ दिया था। हाल के राष्ट्रपति चुनाव में दहल की पार्टी ने नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार रामचंद्र पौडेल को समर्थन दिया था। प्रचंड की पार्टी और नेपाली कांग्रेस ने ओली की ओर से खड़े किए गए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुवास नेम्बांग को हरा दिया था।

इसी घटना के बाद प्रचंड ने ओली के साथ गठबंधन तोड़कर नेपाली कांग्रेस के साथ नाता जोड़ लिया है। अब सत्ता में प्रचंड की पार्टी की अहम सहयोगी नेपाली कांग्रेस पार्टी हमेशा से भारत समर्थक रही है। प्रचंड को अपने गठबंधन की अहम सहयोगी नेपाली कांग्रेस को ये जताना है कि वे भारत को विशेष तरजीह देते हैं। इसलिए भारत की पहली यात्रा कर संबंध मजबूत करेंगे।

भारत यात्रा से पहले संसद में शक्ति प्रदर्शन और अपनी कैबिनेट का विस्तार भी करेंगे

Prime Minister Prachanda को अप्रैल में भारत यात्रा से पहले संसद में शक्ति प्रदर्शन (फ्लोर टेस्ट) और कैबिनेट का विस्तार करना है। 275 सांसदों वाली संसद में नेपाली कांग्रेस के 89 सांसदों सहित प्रचंड के पास अन्य छोटी पार्टियों के 140 सांसदों का स्पष्ट समर्थन हासिल है।

जानकारों का कहना है कि फ्लोर टेस्ट में प्रचंड 140 के वर्तमान आंकड़े से ज्यादा समर्थन हासिल कर सकते हैं। जबकि विपक्षी केपी शर्मा ओली और उनके गठबंधन की पार्टियों के पास 95 सांसद ही हैं। सूत्रों के अनुसार प्रचंड कैबिनेट में नेपाली कांग्रेस को विदेश मंत्री का अहम पद भी सौंपने वाले हैं।

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